आज सोशल मीडिया लोगों से काफी करीब है. हर कोई इस नवीन विधा में रूचि लेने लगा है, और कही न कही यह हमारे रोजमर्रा के जीवन का अंग बन गया है. टाइम-पास से लेकर ज्ञान वृद्धि का एक अच्छा माध्यम बनकर इसने अपनी उपयोगिता को सिद्ध किया है. यह हमारे अकेलेपन का साथी बना है लेकिन बाबजूद इतनी सारी खूबियों के इसने हमंे खुद से काफी दूर कर दिया है यानी हम खुद से बातें नहीं कर रहे है, जो आत्मनिरिक्षण का एक तरीका है, दिल की नहीं सुनते और यहा तक कि हम भावनाओं की कद्र करना भी भूल रहे है. इन सभी बातों की प्रमाणिकता हमें खुद अपने आस पास देखने से मिल जायेगी.
बस, मेट्रो, हर कही जहां पर कोई विशेष कार्य न हो और कभी कभी आफिस में काम के वक्त, क्लास में टीचर के होने पर भी चुपके से इसका मजा ले ही लिया जाता है। कहने का मकसद यह है कि इसका प्रयोग शुरू हुआ था खाली समय के मनोरंजन से और आज यह आदत बनता जा रहा है. जो कही मीठा तो कही कड़वा असर छोड़ रहा है.
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएसन आफं इण्डिया की रिपोर्ट के आधार पर शहरी भारत में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या 2012 दिसम्बर में 6.2 करोड़ तक पहुत गई है यानि प्रत्येक चार में से तीन व्यक्ति इसका इस्तेमाल कर रहे है लगभग 74 प्रतिशत. मोबाइल पर इंटरनेट चलाने वालो में सोशल मीडिया चलाने वालों की संख्या 82 प्रतिशत है. आज चीन भारत के बाद फेसबुक की जनसंख्या सर्वाधिक है, ये आकड़ें अपने आप में सोशल मीडिया की लोकप्रियता को बता रहे थे.
सोशल मीडिया का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है कि इसने समाज में हर व्यक्ति को आवाज उठाने की ताकत दी है जो एक सशक्त लोकतांत्रिक राज्य की अनिवार्य आवश्यक्ता है, साथ ही शिक्षा जागरूकता के क्ष्ेात्र में काफी विकास किया है.
हम दिनों दिन सोशल मीडिया की धार में कटते जा रहे है और आभासी विकास के चलते वास्तविकता का विनाश कर रहे है
इन सब अच्छी बातों के बावजूद सिक्के के दूसरे पहलू के रूप में यह भावनाओं के मामलों में घातक सिद्ध हुआ है. अर्थशास्त्र का नियम है बढ़ती मांग की कीमत चुकानी पड़ती है. फेसबुक, ट्वीटर से लोग समाज के करीब होने चले थे पर वे खुद से ही दूर होते जा रहे है. आज फेसबुक पर कोई भी लाइक करने से चूकता नहीं है, भले ही उसका उससे वास्ता हो या न हो. हर कोई इस आभासी दुनिया में डूब रहा है रिश्ते, प्यार और दोस्ती की खोज कर रहा है और इसके एवज में वह वास्तविक दुनिया से नाता तोड़ रहा है.
शक अविश्वास के कारण होता है और अक्सर यह रिश्तों में अपारदशर््िाता से पैदा होता है. सोशल मीडिया ने भले ही वैश्विक लोकतांत्रिकरण को बढावा दिया हो लेकिन यह बात भी सत्य है कि यह पारिवारिक द्वंद का कारण बनता जा रहा है. पति पत्नि के मधुर रिश्तों के बीच फेसबुक में किया गया लाइक दरार पैदा कर रहा है. हमारे घर परिवार के बच्चे बचपन में ही बड़े हो रहे है और हैरानी तब होती है जब साइबर कैफे में बच्चों को फेसबुक चलाते देखा जाता है. हाल ही में समाजसेवी गोविन्दाचार्य की याचिका पर सुनवायी करते हुए कोर्ट ने सेाशल मीडिया के नियामकों को इसके उपयोग करने की उम्र के संदर्भ में जबाव मांगा था और इस बारे में सरकार को स्पष्ट नीति बनाने को कहा था. आज के स्कूल जाने वाले बच्चे खेलने कूदने की उम्र में आभासी संसार का लुफ्त ले रहे है जिससे उनका स्वास्थ्य तो बाधित होता ही है साथ ही प्रकृति से उनका जुड़ाव भी कमता जा रहा है जो हमारे देश के भविष्य के संास्कृतिक पतन का कारण बनते जा रहा है जिसका परिणाम आने वाले दिनों में हमाने सामने होगा.
परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई होती है परिवार का माहौल समाज पर अपना प्रभाव डालता है जिस कारण आज पारिवारिक द्वंद सामाजिक मेलमिलाप को प्रभावित करता जा रहा है आज हम अपने बुर्जगों को तो आपस में गप्प मारते देख ले रहे है लेकिन आने वाले समय में ये भी नसीब नहीं होगा.
समाज में आत्महत्या, बलात्कार, जैसे कुकर्म करने वाला व्यक्ति इसे सही मानकर करता है वह जान ही नहीं पाता कि यह गलत है क्योंकि उसमें विचार करने, सही गलत की पहचान करने की क्षमता नहीं है. ऐसी क्षमताएं व्यक्ति में खुद सोचने विचारने से विकसित होती है. हम जब भी एकांत में होते है या अकेले बैठे होते है तुरन्त फेसबुक चलाने लगते है और ऐसा हमारी आदत में आ जाता है, जिससे आत्मंथन करने का वह महत्वपूर्ण समय हमारे जीवन से समाप्त होता जा रहा है.
चितंन मनन हमारे जीवन की योजना बनाते है हमारा हर फैसला मूलतः इसी से जुड़ा होता है़. हमें हमसे मिलाते है, अपनी अच्छाइयों बुराईयांे से परिचित कराते है. हमारी उम्मीदों, हौसलों, सपनों की कल्पना का आधार यही होता है.
इन बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिन्दगी में इनकी कितनी ज्यादा महत्ता है और हम दिनों दिन सोशल मीडिया की धार में इन्हे काटते जा रहे है और आभासी विकास के चलते वास्तविकता का विनाश कर रहे है, आवश्यक्ता है एक सम्यक संतुलित दृष्टिकोण की जो हमें नियत्रित तरीके से संचालन सिखाएगा. जो वक्त की जरूरत है.